हम अंग्रेजों के जमाने की बोरोलीन हैं | अहा
बचपन की पुरानी यादों में एक बोरोलीन भी है. नए-नए एंटीसेप्टिक क्रीमों के जमाने में भी अपने क्वालिटी कंट्रोल के दम पर काफी लोकप्रिय है. आज 87 साल बाद जैसे कह रही हो कि हम अंग्रेजों के जमाने की बोरोलीन हैं – अहा. आज हम भी आपको इसके अनछुए पहलुओं से अवगत करा रहे हैं.
- स्वदेशी क्रीम बोरोलीन, कोलकाता के जोका स्थित 28 एकड़ की फैक्ट्री में बनती है. अपने क्वालिटी कंट्रोल की बदौलत यह क्रीम आज 87 साल बाद भी उतनी ही मशहूर है.
- सन् 1929 में शुरू हुए जी.डी.फार्मास्युटीकल्स ही बोरोलीन का उत्पादन करती है. इसके अलावा भी ये 1990 में Eleen हेयर ऑइल और 2003 में स्किन लिक्विड Suthol भी लांच किया.
- बोरोलीन के संस्थापक गौर मोहन दत्ता के पौत्र देबाशीष दत्ता इस समय कम्पनी के एम.डी. हैं. बकौल श्री दत्ता 1947 में जब देश आजाद हुआ तो कम्पनी ने हरे रंग की ट्यूब वाली 1000 क्रीम बांटी.
- अपने शुरुआती दिनों में यह क्रीम सबकी चहेती थी. उस समय के कई कोंग्रेसी नेता और बड़ी हस्तियाँ इसे इस्तेमाल करतीं थीं. फिर चाहे वो नेहरु हों या फिर अभिनेता राजकुमार.
- बिना किसी मार्केटिंग तामझाम के कम्पनी ने 2015-16 में 105 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया. आज ज्यादातर औद्योगिक घरानों की कम्पनियां हजारों करोड़ के कर्ज में डूबी हैं. इसके उलट बोरोलीन पर देश कि जनता का या सरकार का एक रुपया भी कर्ज नहीं है.
- फ़ॉर्मूले से कम्पनी ने आज भी समझौता नहीं किया है. मुख्य रूप से बोरिक पाउडर, जिंक ऑक्साइड, जरुरी तेल और पैराफिन के फ़ॉर्मूले से तैयार होती है.